Posted by : Biradar Mahesh Thursday, June 2, 2011

ॐ शान्ति ! 
Bodiless stage copyविचार मंथनके पॉइंट्स: जून ३,२०११:
मेरा बाबा ..प्यारा बाबा ..मीठा बाबा ..दयालु बाबा .. कृपालु बाबा ....
बाबा की  महिमा ....
परमपिता परमात्मा शिवबाबा हैं ... सत बाप ... सत टीचर ... सत गुरु ..
ज्ञान का सागर ... इश्वर नाँलेजफुल  ... सदैव सुखदाता ...
योग ड्रिल:
१. हम आत्मायें - मैं देही-अभिमानी सच्चा खुशबूदार फूल हूँ ...सर्व को खुशबूदार फूल बना रहा रहा हूँ ....
२. हम आत्मायें - मैं श्रीमत पर चल शमा के ऊपर पूरे पूरा बलिहार जाने वाला सच्चा परवाना हूँ ....
३. हम आत्मायें - मैं शमा के ऊपर जीते जी मरने वाला सच्चा और पूरा परवाना हूँ ....
४. हम आत्मायें - मैं निराकारी हूँ ... आकारी हूँ ... ज्ञान की खुशबू फैला रहा हूँ ....
५. हम आत्मायें - मैं आप समान अच्छा फूल बनाने वाला खुशनसीब हूँ  ....

६. हम आत्मायें - मैं ईश्वरीय औलाद हूँ ... बाप पर बलिहार हूँ ....
७. हम आत्मायें - मैं दूर देश का रहने वाला हूँ  ...अब जाना है दूर देश अपने धाम ....
८. हम आत्मायें - मैं बाबा की मत पर चलने वाला मस्त फ़कीर हूँ ... सर्व श्रेष्ठ हूँ ....
९. हम आत्मायें - मैं निरंतर याद वाला अच्छा फूल हूँ ...ख़ुशीयों की मस्ती में मस्त हूँ ....
१०. हम आत्मायें - मैं सारे विष्व में ज्ञान की खुशबू फैला कर अज्ञानता की बदबू को समाप्त कर रहा हूँ ....
११. हम आत्मायें - मैं ज्ञान - योग की शिक्षा देने वाला बाप का प्रफुल्लित बच्चा हूँ ....
१२. हम आत्मायें - मैं शमा का परवाना ... सम्पूर्ण अवस्था वाला हूँ ....
१३. हम आत्मायें - मैं आत्मा परम आत्मा से ज्ञान को सुनता हूँ ... समझता हूँ ...सर्व आत्मा भाईओं को सुनाता हूँ ....
१४. हम आत्मायें - मैं बाप समान हूँ ... फोलो फाधर हूँ ...मैं अशरीरी हूँ ... विदेही हूँ ....
१५. हम आत्मायें - मैं निराकारी हूँ ... निर्विकल्पी हूँ ... कर्मातीत हूँ ... बीजरूप हूँ ....
१६. हम आत्मायें - मैं देही-अभिमनि हूँ ... आत्म-अभिमानी हूँ ... रूहानी-अभिमानी हूँ ....
१७. हम आत्मायें - मैं परमात्म-अभिमानी ... परमात्म-ज्ञानी हूँ ... परमात्म-भाग्यवान हूँ ....
१८. हम आत्मायें - मैं एक आत्मा हूँ ... न्यारी ... प्यारी ... निराली हूँ ....
१९. हम आत्मायें - मैं जागती-ज्योत ... अथक... निंद्रा-जित और कर्मयोगी हूँ ....
२०. हम आत्मायें - मैं धर्मात्मा ...महात्मा ... देवात्मा ... पुण्य-आत्मा हूँ ....
२१. हम आत्मायें - मैं लाइट हाउस की स्थिति वाला लाइट हाउस हूँ .... रास्ता दिखने वाला हूँ ....
२२. हम आत्मायें - मैं न्यारा प्यारा ... निष्चयबुद्धि  ... साक्षीदृष्टा ... हर्षितमुख हूँ ....
स्टडी पॉइंट्स:
१. श्रीमत पर नहीं चलेंगे तो माया कहीं न कहीं से पीछाडती रहेंगी   ....
२. श्रीमत पर चल कर पापों का बोझा उतारना है ... नहीं तो त्राहि त्राहि करना पड़ेगा ....
३. श्रीमत पर चलना माना चारों ओर स्वत: खुशबू फैलाना ....
४. जो कुछ दु:ख है हमारे जीवन में सब अपने कर्मों का वा अपनी उलटी चलन का है ....
५. श्रीमत पर चल अपने कुटुंब की भी बहुत अच्छी सम्भाल करो और ज्यादा है तो यज्ञ की भी सम्भाल करो ........
६. बाबा का यादगार मधुबन है... अंत में बच्चे मधुबन में आकर रहेंगे माना विश्राम लेंगे... तो मधुबन का भी हिस्सा ...........
७. जो योग युक्त होंगे उनको अंत में बाप की बहुत मदद मिलने से मधुबन पहुचेंगे माना भागेंगे ....
८. जो योग युक्त होंगे उनको बाबा अंत समय प़र प्यार करेंगे...बहेलायेंगे... साक्षात्कार करा कर खुश रखेंगे ....
९. देही-अभिमानी होकर ज्ञान सुनना - सुनाना तो ज्ञान की धारण करा सकेंगे ....
१०. मैं आत्मा हूँ ...और आत्मा भाई को सुना रहा हूँ ... इसी रीती अपने आपसे पहले वार्निंग देनी है ... तो ज्ञान का तीर लगेगा ....
११. दिन में सेवा करनी है क्यों की आप कर्मयोगी हो  ... और रात को जागकर याद से कमाई करनी है ... विचार सागर मंथन करना है ....
१२. आत्मा की पॉइंट बड़ी कड़ी है ... बड़ी मेहनत है ...मंज़िल बहुत ऊँची है ....
१३. कहीं अपना पैसा पाप की तरफ तो नहीं लगता है ....अपने पैसा को ईश्वरीय सेवाओ में ..................
१४. बाप टीचर या बड़ो की आज्ञा न मानने से दु:खी होते है…
१५. ईश्वरीय मत की रिजल्ट २१ जन्म चलती है .... सुखदाई बनाती है ....
१६. खुद ही खुद दु:खदायी बनते हैं  ...माया के बन पड़ते हैं ... दुःखदाई बनना माना माया का बनना…
१७. माया की मत १०० परसेन्ट दुर्भाग्यशाली बनाती है…
१८. श्रीमत पर चलना है ... अपना पोतामेल लिखना है…
योग ड्रिल का सार:
मैं आत्मा देही-अभिमानी...सच्चा खुशबूदार फूल... श्रीमत से ज्ञान की खुशबू फैला ने वाला ...ईश्वरीय औलाद ... न्यारा ... प्यारा ...निरंतर याद वाला ... खुशियों में मस्त ...ज्ञान योग की शिक्षा देने वाला ... प्रफुल्लित  ...निंद्राजित ... पुण्यआत्मा… अवस्था में गेलप करने वाला ... अशरीरी आत्मा ... लाइट हाउस की स्थिति वाला ... निष्चयबुद्धि ...
साक्षीदृष्टा ...हर्षितमुख ... सर्व को खुशबूदार खिला फूल बनाने वाला... शमा के ऊपर पूरा बलिहार जाने वाला परवाना हूँ...

Om Shanti Divine Angels!
Points to Churn from the Murli of June 3, 2011:
My Baba…Loving Baba…Kind-hearted Baba…Compassionate Baba…
Praise of Baba:
The Supreme Father the Supreme Soul is…the True Father…the True Teacher…the True Guru…the Ocean of Knowledge…the Knowledge-full God…constantly the Bestower of Happiness…
Yog Drill:
1. We, the souls- I am a true soul conscious fragrant flower…I make everyone fragrant…
2. We, the souls- I am a true moth…I completely sacrifice myself to the flame…
3. We, the souls- I am a true moth…I die alive and surrender myself completely to the flame…
4. We, the souls- I am a point of light(in the soul world)…I am double light(in the subtle region, an angel)…I spread the fragrance of knowledge…
5. We, the souls- I am fortunate…I make others same as myself…
6. We, the souls- I am a Godly child…I sacrifice myself to the Father…
7. We, the souls- I am the resident of the faraway land…I now have to return home…the faraway land…
8. We, the souls- I am a recluse radiant with joy(mast fakir)…I am the most elevated…I follow the Father’s directions…
9. We, the souls- I am a good flower with constant remembrance…I am frolicking in the intoxication of happiness… (masti me mast)
10. We, the souls- I am spread the fragrance of knowledge in the whole world to finish the odour of ignorance…
11. We, the souls- I am a happy child of the Father…I give lessons of knowledge and remembrance…
12. We, the souls- I am a moth of the flame…I am in a perfect stage…
13. We, the souls- I, the soul listen to the knowledge from the Supreme Soul…understand it, and then relate it to others…
14. We, the souls- I am equal to the Father…I follow the Father… I am bodiless…I am out of this body…
15. We, the souls- I am incorporeal…free from waste thoughts…karmateet…in the form of a seed…
16. We, the souls- I am soul conscious…conscious of the soul…spiritually conscious…
17. We, the souls- I am conscious of the Supreme Soul…I have knowledge of the Supreme Soul…I am fortunate because of the Supreme Soul…
18. We, the souls- I am a soul…unique…loving…detached..
19. We, the souls- I am a living flame…tireless….a conqueror of sleep…a karmayogi…
20. We, the souls- I am a religious soul…a great soul….a deity soul….a charitable soul…
21. We, the souls- I am a light house in the stage of a light house…I show the path to everyone…
22. We, the souls- I am loving and detached…a detached observer…with a determined intellect…and cheerful face…
Study Points:

1. If you don’t follow shrimat, maya will continue to make you fall…
2. By following shrimat, remove the burden of sins of many births, or else you will have to cry out in distress…
3. By following shrimat, fragrance will spread automatically…
4. Whatever sorrow we have in our lives is due to our past karmic accounts and wrong-doings…
5. Look after your family on the basis of shrimat, and whatever is extra donate to the yagya…
6. Baba’s memorial is Madhuban, and in the end the children will come and rest there….
7. Those who are yogyukt will receive a lot of help from Baba at the end… they will be able to reach Madhuban… they will come running to the Father… …….
8. Those who are yogyukt(accurately connected in yoga) will receive a lot of love from Baba, will be entertained by Baba and will remain happy with the visions…
9. You will be able to imbibe very well when you listen to and relate knowledge in a soul conscious state…..
10. I am a soul…I am relating knowledge to another brother soul…if you warn them this way, then the arrow will strike the target…
11. During the day do service because you are a karma yogi…at night keep awake in remembrance and earn an income…churn the ocean of knowledge…
12. There is a lot of effort required in considering yourself to be a soul…it is a strong point…the destination is very high…
13. Make sure that your donations are not used for sinful activities…use it for Godly service…
14. When you don’t obey the directions of the Father, teacher or elders, you experience a lot of sorrow…
15. The result of God’s directions lasts for 21 births…you become happy…
16. You cause sorrow to yourselves when you belong to maya…to become sorrowful means to belong to maya…
17. Following the directions of maya makes you 100% unfortunate…
18. Follow shrimat…maintain a daily account…

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