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- Points to Churn from the Murli of July 12, 2011:
ॐ शान्ति दिव्य फ़रिश्ते !!
विचार मंथनके पॉइंट्स: जुलाई १२, २०११ बाबा की महिमा:
परमपिता परमात्मा शिवबाबा हैं .... मेरा बाबा.....प्यारा बाबा.....मीठा बाबा .....दयालु बाबा ...... कृपालु बाबा ...... सत बाप...... सत टीचर ...... सत गुरु..... पतित पावन... दुख हरता सुख करता...रूहानी बाप...निराकार... राम........पतियों का पति......
स्टार पॉइंट:
मैं आत्मा बाबा के सम्मुख हूँ...लायक हूँ...सतोप्रधान हूँ...विष्व का मालिक हूँ...
योग कोमेंट्री:..
मैं आत्मा हूँ...शिव बाबा का बच्चा हूँ...ब्रह्मा तन द्वारा एडापटेड हूँ...बाबा के सम्मुख हूँ...नशे मे हूँ...सतोप्रधान हूँ...रूह आत्मा हूँ...विष्व का मालिक हूँ...सहज याद वाला हूँ...अपने को आत्मा समझकर बाप को याद करता हूँ...पतित पावनी नदी हूँ...राम की सच्ची सीता हूँ...बाबा मेरी अविनाशी ज्ञान की झोली भर रहे हैं...पारस बुद्धि हूँ...पारसनाथ हूँ...सुखी, पवित्र, सम्पूर्ण निर्विकारी हूँ.... राजाओं का राजा हूँ...देही अभिमानी हूँ...आत्म अभिमानी हूँ...कामधेनु हूँ... सब की मनोकामनायें पूर्ण करती हूँ...गुल गुल बनकर बाप के साथ वापिस जानेवाली हूँ... सूक्ष्मवतनवासी पावन फरिश्ता हूँ...त्रिनेत्री हूँ...ट्रस्टी हूँ...प्रसन्नचित हूँ... सर्व को प्रसन्नचित कर रही हूँ.... पूर्वज हूँ...कल्प वृक्ष का विशेष तना हूँ...पूरे वृक्ष को शक्तिओं की साकाश दे रही हूँ...कमजोरों को बल दे रही हूँ...... मेरा तो एक बाप, दूसरा ना कोई...
स्वमान और आत्मा का अभ्यास:
१. मैं आत्मा सहज याद वाला हूँ...वारिस हूँ...
२. मैं आत्मा पवित्र हूँ,...पतित पावणी नदी हूँ...पावन फरिश्ता हूँ...
३. मैं आत्मा बाप की श्रीमत पर चलने वाला हूँ...राजाओं का राजा हूँ...
४. मैं आत्मा देही अभिमानी हूँ...आत्म अभिमानी हूँ...रूहानी अभिमानी हूँ...
५. मैं आत्मा परम पूज्य हूँ...कामधेनु हूँ...सब की मनोकामनायें पूर्ण करती हूँ...
६. मैं आत्मा त्रिनेत्री हूँ...मेरा तो एक बाप, दूसरा ना कोई...
७. मैं आत्मा प्रसन्नचित हूँ...सर्व को प्रसन्नचित कर रही हूँ...
८. मैं आत्मा पूर्वज हूँ...कल्प वृक्ष का विशेष तना हूँ...पूरे वृक्ष को शक्तिओं की साकाश दे रही हूँ...कमजोरों को बल दे रही हूँ......
ज्ञान सूची:
याद मे रहना है...हिसाब किताब कर्म-भोग चुक्तू करने हैं, नहीं तो सजायें खानी पड़ेंगी और पद भी भ्रष्ट हो जायेगा...
अगर बुद्धि में कोई तीसरा आ गया तो फिर तीसरा नेत्र बन्द हो जायेगा...इसीलिए, याद रखना, एक बाप, दूसरे हम, तीसरा ना कोई...
पुराने वा अवगुणों का अग्नि संस्कार .......... १२. तिरस्कार घृणा नफरत करना ............. मैं आत्मा आत्मिक प्यार रखने वाला स्नेही हूँ......... मैं आत्मा परमधाम शान्तिधाम शिवालय में हूँ ..... शिवबाबा के साथ हूँ ..... समीप हूँ .... समान हूँ ..... सम्मुख हूँ ..... सेफ हूँ ..... बाप की छत्रछाया में हूँ .....अष्ट इष्ट महान सर्व श्रेष्ठ हूँ ...... मैं आत्मा मास्टर ज्ञानसूर्य हूँ .... मास्टर रचयिता हूँ ..... मास्टर महाकाल हूँ ..... मास्टर सर्व शक्तिवान हूँ ..... शिव शक्ति कमबाइनड हूँ ........ अकालतक्खनशीन हूँ ....अकालमूर्त हूँ ..... अचल अडोल अंगद एकरस एकटिक एकाग्र स्थिरियम अथक और बीजरूप हूँ ........ शक्तिमूर्त ..... संहारनीमूर्त ...... अलंकारीमूर्त ..... कल्याणीमूर्त हूँ ......शक्ति सेना हूँ ..... शक्तिदल हूँ ...... सर्वशक्तिमान हूँ ...... रुहे गुलाब .... जलतीज्वाला .... ज्वालामुखी .... ज्वालास्वरूप .... ज्वालाअग्नि हूँ .... तिरस्कार घृणा नफरत करना..........अवगुणों का आसुरी संस्कार का अग्नि संस्कार कर रही हूँ ........ जला रही हूँ ...... भस्म कर रही हूँ ...... मैं आत्मा महारथी महावीर तिरस्कार घृणा नफरत करना.......... के मायावी संस्कार पर विजयी रूहानी सेनानी हूँ .......... मैं आत्मा आत्मिक प्यार रखने वाला स्नेही हूँ....मैं देही -अभिमानी ..... आत्म-अभिमानी..... रूहानी अभिमानी .....परमात्म अभिमानी..... परमात्म ज्ञानी ..... परमात्म भाग्यवान..... सर्वगुण सम्पन्न ..... सोला क
I am a soul...a child of Shiv Baba...adopted through the body of Brahma...I am sitting personally in front of the Father...in intoxication...satopradhan...a spiritual soul...the master of the world... I have easy remembrance...I consider myself to be a soul and remember the Father...I am the purifying river...the true Sita of Ram...Baba is filling my imperishable apron of knowledge... I have a divine intellect...I am the Lord of Divinity...I am happy, pure, completely vice less...I am the king of all kings...I am soul conscious...A Kamdhenu...I fulfill the desires of all...I become beautiful and return home with the Father....I am the holy angel of the subtle region...I am Trinetri (one with the third eye of knowledge)...a trustee...I have happiness in my heart...I make everyone happy...I am an ancestor soul...a special trunk of the Kalpa Tree...I give the whole tree the sakaash of all powers...I give strength to the weak...I belong to the One Father and none other...
Self Respect and Soul Study:
Remain in remembrance...you have to settle all your karmic accounts here, or else you will undergo punishment and your status will be destroyed...
If a third person enters your intellect then the Third Eye will close...so, remember, there is One Father, you are second, and no one is third...