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- Murli 15 june 2011
Posted by : PooMac Photography Studio
Tuesday, June 14, 2011
मुरली सार:- ''मीठे सेन्सीबुल बच्चे - सदा याद रखो कि हम अविनाशी आत्मा हैं, हमें अब बाप के साथ पहले तबके (फ्लोर) में जाना है''
प्रश्न: कौन सी मेहनत तुम हर एक बच्चे को अवश्य करनी है?
उत्तर: बाबा तुम्हें जो इतनी नॉलेज देते हैं उसे अपनी दिल से लगाते रहो। अन्दर ही अन्दर उसको मनन कर हज़म करो, जिससे शक्ति मिलेगी। यह मेहनत अवश्य हर एक को करनी चाहिए। जो ऐसी गुप्त मेहनत करते हैं वह सदा हर्षित रहते हैं, उन्हें नशा रहता है कि हमें पढ़ाने वाला कौन है! हम किसके सामने बैठे हैं!
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) अभी से ही बाप की श्रीमत पर ऐसे श्रेष्ठ कर्म करने हैं, जो फिर कभी कर्म कूटने न पड़े अर्थात् कर्मों की सज़ायें न खानी पड़े।
2) किसी भी विनाशी चीज़ का नशा नहीं रखना है। यह देह भी विनाशी है, इसका भी नशा नहीं रखना है, सेन्सीबुल बनना है।
वरदान:- समस्याओं को चढ़ती कला का साधन अनुभव कर सदा सन्तुष्ट रहने वाले शक्तिशाली भव
जो शक्तिशाली आत्मायें हैं वह समस्याओं को ऐसे पार कर लेती हैं जैसे कोई सीधा रास्ता सहज ही पार कर लेते हैं। समस्यायें उनके लिए चढ़ती कला का साधन बन जाती हैं। हर समस्या जानी पहचानी अनुभव होती है। वे कभी भी आश्चर्यवत नहीं होते बल्कि सदा सन्तुष्ट रहते हैं। मुख से कभी कारण शब्द नहीं निकलता लेकिन उसी समय कारण को निवारण में बदल देते हैं।
स्लोगन: स्व-स्थिति में स्थित रहकर सर्व परिस्थितियों को पार करना ही श्रेष्ठता है।
Essence: Sweet sensible children, always remember that each one of you is an imperishable soul. You now have to go to the first floor with the Father.
Question: What effort does each of you children definitely have to make?
Answer: Continue to keep in your heart all the knowledge that Baba gives you. Churn it within yourself and digest it. By doing this you will receive power. Each of you definitely has to make this effort. Those who make this incognito effort remain constantly cheerful. They have the intoxication of who it is that is teaching them and in front of whom they are sitting.
Essence for dharna:
1. Perform such elevated actions, according to the Father’s shrimat from now, that you never have to repent for your actions, that is, you don’t have to experience punishment for your actions.
2. Don’t have intoxication of any perishable things. Even your body is perishable. Don’t have intoxication of that either. Become sensible!
Blessing: May you be powerful and remain constantly content by experiencing problems to be a means of the ascending stage.
Powerful souls overcome problems as easily as passing along an easy and direct path. For them, problems are a means for the ascending stage. They experience every problem to be familiar. They are never surprised about anything, but remain constantly content instead. The words “Because of” and “reasons” never emerge from their lips, but they are able to transform reasons and excuses into solutions at that time.
Slogan: To remain stable in your original stage and overcome all adverse situations is greatness.
प्रश्न: कौन सी मेहनत तुम हर एक बच्चे को अवश्य करनी है?
उत्तर: बाबा तुम्हें जो इतनी नॉलेज देते हैं उसे अपनी दिल से लगाते रहो। अन्दर ही अन्दर उसको मनन कर हज़म करो, जिससे शक्ति मिलेगी। यह मेहनत अवश्य हर एक को करनी चाहिए। जो ऐसी गुप्त मेहनत करते हैं वह सदा हर्षित रहते हैं, उन्हें नशा रहता है कि हमें पढ़ाने वाला कौन है! हम किसके सामने बैठे हैं!
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) अभी से ही बाप की श्रीमत पर ऐसे श्रेष्ठ कर्म करने हैं, जो फिर कभी कर्म कूटने न पड़े अर्थात् कर्मों की सज़ायें न खानी पड़े।
2) किसी भी विनाशी चीज़ का नशा नहीं रखना है। यह देह भी विनाशी है, इसका भी नशा नहीं रखना है, सेन्सीबुल बनना है।
वरदान:- समस्याओं को चढ़ती कला का साधन अनुभव कर सदा सन्तुष्ट रहने वाले शक्तिशाली भव
जो शक्तिशाली आत्मायें हैं वह समस्याओं को ऐसे पार कर लेती हैं जैसे कोई सीधा रास्ता सहज ही पार कर लेते हैं। समस्यायें उनके लिए चढ़ती कला का साधन बन जाती हैं। हर समस्या जानी पहचानी अनुभव होती है। वे कभी भी आश्चर्यवत नहीं होते बल्कि सदा सन्तुष्ट रहते हैं। मुख से कभी कारण शब्द नहीं निकलता लेकिन उसी समय कारण को निवारण में बदल देते हैं।
स्लोगन: स्व-स्थिति में स्थित रहकर सर्व परिस्थितियों को पार करना ही श्रेष्ठता है।
Essence: Sweet sensible children, always remember that each one of you is an imperishable soul. You now have to go to the first floor with the Father.
Question: What effort does each of you children definitely have to make?
Answer: Continue to keep in your heart all the knowledge that Baba gives you. Churn it within yourself and digest it. By doing this you will receive power. Each of you definitely has to make this effort. Those who make this incognito effort remain constantly cheerful. They have the intoxication of who it is that is teaching them and in front of whom they are sitting.
Essence for dharna:
1. Perform such elevated actions, according to the Father’s shrimat from now, that you never have to repent for your actions, that is, you don’t have to experience punishment for your actions.
2. Don’t have intoxication of any perishable things. Even your body is perishable. Don’t have intoxication of that either. Become sensible!
Blessing: May you be powerful and remain constantly content by experiencing problems to be a means of the ascending stage.
Powerful souls overcome problems as easily as passing along an easy and direct path. For them, problems are a means for the ascending stage. They experience every problem to be familiar. They are never surprised about anything, but remain constantly content instead. The words “Because of” and “reasons” never emerge from their lips, but they are able to transform reasons and excuses into solutions at that time.
Slogan: To remain stable in your original stage and overcome all adverse situations is greatness.
15-6-2011:
ReplyDeleteमुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप आये हैं सारी दुनिया से विकारों की तपत बुझाए सबको शीतल बनाने, ज्ञान बरसात शीतल बना देती है''
प्रश्न: कौन सी तपत सारी दुनिया को जला रही है?
उत्तर: काम विकार की तपत सारी दुनिया को जला रही है। सब काम अग्नि में जलकर काले हो गये हैं। बाप ज्ञान वर्षा से उन्हें शीतल बनाते हैं। जैसे बरसात पड़ने से धरती शीतल हो जाती है तो इस ज्ञान वर्षा से 21 जन्मों के लिए तुम शीतल बन जाते हो। किसी भी प्रकार की तपत नहीं रहती। तत्व भी सतोप्रधान बन जाते हैं। कोई भी तपते नहीं हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) रूहानी पढ़ाई के नशे में रहना है। बाप समान निरहंकारी बनना है। पोजीशन आदि का अंहकार नहीं रखना है।
2) अपनी झोली ज्ञान रत्नों से भरनी है। सम्पूर्ण निर्विकारी बन देवता पद पाना है। कभी भी मुरझाना नहीं है।
वरदान:- संकल्प के इशारों से सारी कारोबार चलाने वाले सदा लाइट के ताजधारी भव
जो बच्चे सदा लाइट रहते हैं उनका संकल्प वा समय कभी व्यर्थ नहीं जाता। वही संकल्प उठता है जो होने वाला है। जैसे बोलने से बात को स्पष्ट करते हैं वैसे ही संकल्प से सारी कारोबार चलती है। जब ऐसी विधि अपनाओ तब यह साकार वतन सूक्ष्मवतन बनें। इसके लिए साइलेन्स की शक्ति जमा करो और लाइट के ताजधारी रहो।
स्लोगन: इस दु:खधाम से किनारा कर लो तो कभी दु:ख की लहर आ नहीं सकती।
JUNE-15th-2011
Essence: Sweet children, the Father has come to extinguish the fire of vices burning throughout the whole world and to make everyone cool. The rain of knowledge makes you cool.
Question: Which fire is burning the whole world?
Answer: The fire of the vice of lust is burning the whole world. Everyone has become ugly by burning in the fire of lust. The Father is making them cool with the rain of knowledge. Just as the earth becomes cool with rain, similarly, with the rain of knowledge you become cool for 21 births. Then, no type of fire remains. Even the elements become satopradhan and no heat is experienced.
Essence for dharna:
1. Maintain the intoxication of the spiritual study. Become as egoless as the Father. Don’t have any ego about your position, etc.
2. Fill your aprons with the jewels of knowledge. Become completely viceless and attain the deity status. Never wilt.
Blessing: May you constantly have a crown of light and carry out all your activities with a signal through your thoughts.
The thoughts and time of children who remain constantly light are never wasted. They only have thoughts that are going to become practical. Just as you clarify something by speaking about it, in the same way, they carry out all their activities through thoughts. When you adopt such a method, the physical world then becomes the subtle region. For this, accumulate the power of silence and wear a crown of light.
Slogan: Step aside from this world of sorrow and waves of sorrow will never come to you.
:-)) OM SHANTI: :-))