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Posted by : PooMac Photography Studio
Monday, October 15, 2012
Om
Shanti Divine Angels!!!
Points to Churn from the Murli of October 16, 2012
Praise of Baba:
The Ocean of Knowledge, the Incorporeal Purifier, the Supreme Father, and the Supreme Soul Shiv Baba is.... My Baba...Sweet Baba...Loving Baba...Kind-hearted Baba...Compassionate Baba...the True Father...the True Teacher...the Unlimited Father...the Lord of the Poor...
Points of Self-Respect and Soul Study:
Interesting Points:
ॐ
शान्ति
दिव्य
फरिश्ते
!!!
विचार सागर मंथन: अक्तूबर 16, 2012
बाबा की महिमा:
ज्ञान के सागर पतित पावन निराकार परमपिता परमात्मा शिव बाबा हैं...मेरा बाबा...प्यारा बाबा...मीठा बाबा...दयालु बाबा...कृपालु बाबा... सत बाप...सत टीचर...सत गुरु... बेहद का बाप...ग़रीब निवाज़...
स्वमान और आत्मा अभ्यास :
ज्ञान : हम आत्माएँ, ज्ञान के तीसरे नेत्र वाली, ज्ञान सागर से निकली हुई ज्ञान गंगाएँ हैं...
गुप्त रीति से बाप से सुननेवाले, बुद्धि में शुद्धि रख, पढ़ाई से कमाई कर राजाई पानेवाले गॉड्ली स्टूडेंट्स हैं ...
बाप से सहज राज योग सीख कर, पूरा पढ़कर, नर से नारायण और नारी से लक्ष्मी बननेवाले, मम्मा बाबा को फॉलो करनेवाले कृष्णपुरी के मालिक हैं...
योग: हम आत्माएँ, आत्माओं का परमात्मा के साथ कल्याणकारी संगम युग के कुंभ मेले में शिव बाबा को दिल देनेवाले, शिव बाबा से सगाई करनेवाले, शिव बाबा के प्रीत बुद्धि वाले आशिक हैं...
पवित्र रहकर एक बाप को याद करनेका हड्डी पुरुषार्थ कर विकर्म विनाश करनेवाले, देही अभिमानी आत्म-अभिमानी परमात्म अभिमानी परमात्म ज्ञानी, परमात्म वरदानी, परमात्म भाग्य शालि हैं...
बेहद के बाप से बेहद का सुख का वर्सा पानेवाले, सदा हर्षित हैं...
धारणा: हम आत्माएँ, सत बाप से सत बोलनेवाले, सच्चे, स्वच्छ और सॉफ दिल वाले, निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी हैं...
बाप का पवित्र बननेका फरमान माननेवाली, ख़ान-पान की परहेज रखनेवाली, घर में रहते युक्ति से चलने वाली प्रवृत्ति मार्ग की पवित्र पावन परम पूज्य पार्वतियाँ हैं...
21 जन्मों के लिए पवित्र सुख शान्ति विष्णुपूरी में ऊँच पद पानेवाली, बहादुर शिव-शक्तियाँ हैं...माया पर जीत पानेवाली पहलवान शक्ति सेना हैं......
अपनी सूर्यवंशी राजधानी गुप्त रीति से स्थापन करनेवाले, बिगर सज़ा खाए मुक्ति जीवन मुक्ति पानेवाले, सपूत बच्चे हैं... दैवी सतयुगी का स्वराज्य के लिए पुरुषार्थ करनेवाले, खुद परमात्मा की शिक्षा पर चल श्रीमत पर ग़रीब से साहूकार बनवाले, स्वर्ग के मालिक हैं...
सेवा: हम आत्माएँ, भारत को ग़रीब से साहूकार बनाने में खुदाई खिदमतगार हैं...
ज्ञान धारण कर सुधरनेवाले, ईश्वरीय सर्विस कर औरों का कल्याण करनेवाले, श्रेष्ठा चारी विश्व कल्याणकारी हैं...
वरदान: हम आत्माएँ, पुरुषार्थ से धरणी बनाकर साथ-साथ बीज को प्रत्यक्ष करने के लिए दृढ़ निश्चय और योग के प्रयोग से सबकी बुद्धि और वृत्ति को परिवर्तन करनेवाले, विजयी भव का
Points to Churn from the Murli of October 16, 2012
Praise of Baba:
The Ocean of Knowledge, the Incorporeal Purifier, the Supreme Father, and the Supreme Soul Shiv Baba is.... My Baba...Sweet Baba...Loving Baba...Kind-hearted Baba...Compassionate Baba...the True Father...the True Teacher...the Unlimited Father...the Lord of the Poor...
Points of Self-Respect and Soul Study:
Knowledge: With the third eye of knowledge, we, the
souls, become the Ganges of knowledge emerging from the Ocean of Knowledge...
By
studying with pure and clean intellects in an incognito manner from the Father,
we, the Godly students, earn an income and attain a kingdom...
We
study the easy Raj Yoga from the Father fully, follow Mamma and Baba, transform
from ordinary men to Narayan and from ordinary women to Laxmi, and become the
masters of the land of Krishna...
Yoga: In the
Kumbh mela of the benevolent confluence age, when souls meet the Supreme Soul, we,
the souls, give our hearts to Shiv Baba, get engaged to Shiv Baba, and with
loving intellects become the lovers of Shiv Baba...
By remaining pure and by making deep effort (giving
our bones) of remembering the One Father, we absolve our sins...
we are soul conscious (while performing actions), soul conscious
(in remembrance), God conscious, have knowledge of God, obtain blessings from
God, and are made fortunate by God..
we constantly remain cheerful by receiving the unlimited
inheritance of happiness from the Unlimited Father...
Dharna: We, the souls, tell
the True Father only the truth...we have honest, clean and pure hearts...we are
incorporeal, vice less and egoless...
We
are the pure, holy, supremely worthy-of-worship Parvatis on the household path
maintaining precaution in our food and drink, who obey the Father’s order of
remaining pure...we are the brave ShivShaktis who attain a high status for 21
births in the pure and peaceful land of Vishnu, which is full of happiness...we
are the powerful Shakti army that is victorious over Maya...
We
establish our sun dynasty kingdom in an incognito manner...we are the obedient
and worthy children who attain liberation and liberation-in-life without
undergoing any punishment...
We
make effort for the deity golden-aged sovereignty ...we follow the teachings
and the shrimat of God Himself, become rich from poor, and the masters of
heaven...
Service: We, the souls, are God’s helpers in making
Bharat rich from poor...we are the elevated world benefactors who imbibe
knowledge and reform, do Godly service and benefit others.....
Blessing: In order to reveal
the Seed, we, the souls, prepare the ground with our effort... by experimenting
with yoga, we change the attitudes and together with that, with determined
faith we change the intellects of everyone, and receive the blessings to be constantly
victorious...we become the world transformers and the images of success...
Slogan : We, the charitable
souls, are free from bondages...we wake up from the sleep of ignorance, inculcate
the study in the intellect, buzz the knowledge to others with cleverness, and accumulate
in our treasure store through service...
1.
The
Father’s order is: Become pure! We do not accept any human beings as our
guru...there is a lot of conflict because of purity...Instead of becoming
impure, it is better to become pure and wash the dishes...those who remain pure
are called elevated...you have to make efforts to remain pure...there is
respect for purity...if you don’t become pure, you won’t receive a status...
2.
On
the basis of shrimat , ask yourselves whether something is sinful or charitable.
Baba explains: Whatever sins you have committed, by telling the Father about
them, half of those sins will be erased. Don’t commit any more sins. Otherwise
the punishment will be hundred-fold, and you will then be given visions of that
in the land of Dharamraj, The whole account remains with Dharamraj. God’s
activity is very wonderful and incognito...
विचार सागर मंथन: अक्तूबर 16, 2012
बाबा की महिमा:
ज्ञान के सागर पतित पावन निराकार परमपिता परमात्मा शिव बाबा हैं...मेरा बाबा...प्यारा बाबा...मीठा बाबा...दयालु बाबा...कृपालु बाबा... सत बाप...सत टीचर...सत गुरु... बेहद का बाप...ग़रीब निवाज़...
स्वमान और आत्मा अभ्यास :
ज्ञान : हम आत्माएँ, ज्ञान के तीसरे नेत्र वाली, ज्ञान सागर से निकली हुई ज्ञान गंगाएँ हैं...
गुप्त रीति से बाप से सुननेवाले, बुद्धि में शुद्धि रख, पढ़ाई से कमाई कर राजाई पानेवाले गॉड्ली स्टूडेंट्स हैं ...
बाप से सहज राज योग सीख कर, पूरा पढ़कर, नर से नारायण और नारी से लक्ष्मी बननेवाले, मम्मा बाबा को फॉलो करनेवाले कृष्णपुरी के मालिक हैं...
योग: हम आत्माएँ, आत्माओं का परमात्मा के साथ कल्याणकारी संगम युग के कुंभ मेले में शिव बाबा को दिल देनेवाले, शिव बाबा से सगाई करनेवाले, शिव बाबा के प्रीत बुद्धि वाले आशिक हैं...
पवित्र रहकर एक बाप को याद करनेका हड्डी पुरुषार्थ कर विकर्म विनाश करनेवाले, देही अभिमानी आत्म-अभिमानी परमात्म अभिमानी परमात्म ज्ञानी, परमात्म वरदानी, परमात्म भाग्य शालि हैं...
बेहद के बाप से बेहद का सुख का वर्सा पानेवाले, सदा हर्षित हैं...
धारणा: हम आत्माएँ, सत बाप से सत बोलनेवाले, सच्चे, स्वच्छ और सॉफ दिल वाले, निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी हैं...
बाप का पवित्र बननेका फरमान माननेवाली, ख़ान-पान की परहेज रखनेवाली, घर में रहते युक्ति से चलने वाली प्रवृत्ति मार्ग की पवित्र पावन परम पूज्य पार्वतियाँ हैं...
21 जन्मों के लिए पवित्र सुख शान्ति विष्णुपूरी में ऊँच पद पानेवाली, बहादुर शिव-शक्तियाँ हैं...माया पर जीत पानेवाली पहलवान शक्ति सेना हैं......
अपनी सूर्यवंशी राजधानी गुप्त रीति से स्थापन करनेवाले, बिगर सज़ा खाए मुक्ति जीवन मुक्ति पानेवाले, सपूत बच्चे हैं... दैवी सतयुगी का स्वराज्य के लिए पुरुषार्थ करनेवाले, खुद परमात्मा की शिक्षा पर चल श्रीमत पर ग़रीब से साहूकार बनवाले, स्वर्ग के मालिक हैं...
सेवा: हम आत्माएँ, भारत को ग़रीब से साहूकार बनाने में खुदाई खिदमतगार हैं...
ज्ञान धारण कर सुधरनेवाले, ईश्वरीय सर्विस कर औरों का कल्याण करनेवाले, श्रेष्ठा चारी विश्व कल्याणकारी हैं...
वरदान: हम आत्माएँ, पुरुषार्थ से धरणी बनाकर साथ-साथ बीज को प्रत्यक्ष करने के लिए दृढ़ निश्चय और योग के प्रयोग से सबकी बुद्धि और वृत्ति को परिवर्तन करनेवाले, विजयी भव का