- Back to Home »
- MURLI »
- Murli 3 June 2011
Posted by : Biradar Mahesh
Thursday, June 2, 2011
Essence: Sweet children, in order to receive blessings from the Father, become worthy, serviceable children and give everyone happiness. Don’t cause anyone sorrow.
Question: In order to free yourself from the punishment of Dharamraj, what Godly disciplines do you have to pay attention to?
Answer: Having made a promise to God, don’t disobey Him. Don’t cause anyone sorrow. Those who become angry or distress others or behave in a way that would defame God’s name will have to experience a lot of punishment. Therefore, don’t perform any such actions. No matter if an illness breaks out or how many storms of Maya come, constantly remain free from performing wrong actions by using your intellect to judge what is right and what is wrong.
Essence for dharna:
1. After becoming God’s child, don’t disobey Him even slightly. Don’t perform any sinful actions through the physical organs. Don’t use wrong words. Become worthy and claim blessings from the Father.
2. Be a trustee and look after your household. Completely follow the laws of the path of knowledge. Understand right from wrong and remain cautious of Maya.
Blessing: May you be double light and make difficult tasks easy with the constant awareness of the combined form.
The children who stay in constant remembrance experience constant company. When any problems come in front of them, they will experience the combined form and not be afraid. The awareness of the combined form makes any difficult task easy. If any big situation comes in front of you, then hand over your burden to the Father and become double light. Then you will continue to dance in happiness in your mind day and night like an angel.
Slogan: Jewels of contentment find a solution to any problem; they remain content and make others content.
प्रश्न: धर्मराज की सजाओं से छूटने के लिए किन ईश्वरीय नियमों पर ध्यान देना है?
उत्तर: कभी भी ईश्वर के सामने प्रतिज्ञा कर उसकी अवज्ञा नहीं करना है। किसी को दु:ख नहीं देना। क्रोध करना, तंग करना अर्थात् ऐसी चलन चलना जिससे ईश्वर का नाम बदनाम हो... तो उन्हें बहुत सजायें खानी पड़ती इसलिए ऐसा कोई कर्म नहीं करना है। माया के कितने भी तूफान आयें, बीमारी उथल खाये लेकिन राइट-रांग की बुद्धि से जजमेंट कर रांग कर्म से सदा बचे रहना।
गीत:- कौन आया मेरे मन के द्वारे...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) ईश्वर का बच्चा बनकर जरा भी उनके फरमान की अवज्ञा नहीं करनी है। इन कर्मेन्द्रियों से कोई भी कुकर्म नहीं करना है। उल्टे-सुल्टे बोल नहीं बोलने हैं। सपूत बन बाप की आशीर्वाद लेनी है।
2) ट्रस्टी बनकर अपने गृहस्थ व्यवहार को सम्भालना है। ज्ञान मार्ग के जो कायदे हैं उन पर पूरा-पूरा चलना है। राइट और रांग को समझकर माया से खबरदार रहना है।
वरदान:- सदा कम्बाइण्ड स्वरूप की स्मृति द्वारा मुश्किल कार्य को सहज बनाने वाले डबल लाइट भव
जो बच्चे निरन्तर याद में रहते हैं वे सदा साथ का अनुभव करते हैं। उनके सामने कोई भी समस्या आयेगी तो अपने को कम्बाइण्ड अनुभव करेंगे, घबरायेंगे नहीं। ये कम्बाइण्ड स्वरूप की स्मृति कोई भी मुश्किल कार्य को सहज बना देती है। कभी कोई बड़ी बात सामने आये तो अपना बोझ बाप के ऊपर रख स्वयं डबल लाइट हो जाओ। तो फरिश्ते समान दिन-रात खुशी में मन से डांस करते रहेंगे।
स्लोगन: किसी भी कारण का निवारण कर सन्तुष्ट रहने और करने वाले ही सन्तुष्टमणि हैं।
Question: In order to free yourself from the punishment of Dharamraj, what Godly disciplines do you have to pay attention to?
Answer: Having made a promise to God, don’t disobey Him. Don’t cause anyone sorrow. Those who become angry or distress others or behave in a way that would defame God’s name will have to experience a lot of punishment. Therefore, don’t perform any such actions. No matter if an illness breaks out or how many storms of Maya come, constantly remain free from performing wrong actions by using your intellect to judge what is right and what is wrong.
Essence for dharna:
1. After becoming God’s child, don’t disobey Him even slightly. Don’t perform any sinful actions through the physical organs. Don’t use wrong words. Become worthy and claim blessings from the Father.
2. Be a trustee and look after your household. Completely follow the laws of the path of knowledge. Understand right from wrong and remain cautious of Maya.
Blessing: May you be double light and make difficult tasks easy with the constant awareness of the combined form.
The children who stay in constant remembrance experience constant company. When any problems come in front of them, they will experience the combined form and not be afraid. The awareness of the combined form makes any difficult task easy. If any big situation comes in front of you, then hand over your burden to the Father and become double light. Then you will continue to dance in happiness in your mind day and night like an angel.
Slogan: Jewels of contentment find a solution to any problem; they remain content and make others content.
प्रश्न: धर्मराज की सजाओं से छूटने के लिए किन ईश्वरीय नियमों पर ध्यान देना है?
उत्तर: कभी भी ईश्वर के सामने प्रतिज्ञा कर उसकी अवज्ञा नहीं करना है। किसी को दु:ख नहीं देना। क्रोध करना, तंग करना अर्थात् ऐसी चलन चलना जिससे ईश्वर का नाम बदनाम हो... तो उन्हें बहुत सजायें खानी पड़ती इसलिए ऐसा कोई कर्म नहीं करना है। माया के कितने भी तूफान आयें, बीमारी उथल खाये लेकिन राइट-रांग की बुद्धि से जजमेंट कर रांग कर्म से सदा बचे रहना।
गीत:- कौन आया मेरे मन के द्वारे...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) ईश्वर का बच्चा बनकर जरा भी उनके फरमान की अवज्ञा नहीं करनी है। इन कर्मेन्द्रियों से कोई भी कुकर्म नहीं करना है। उल्टे-सुल्टे बोल नहीं बोलने हैं। सपूत बन बाप की आशीर्वाद लेनी है।
2) ट्रस्टी बनकर अपने गृहस्थ व्यवहार को सम्भालना है। ज्ञान मार्ग के जो कायदे हैं उन पर पूरा-पूरा चलना है। राइट और रांग को समझकर माया से खबरदार रहना है।
वरदान:- सदा कम्बाइण्ड स्वरूप की स्मृति द्वारा मुश्किल कार्य को सहज बनाने वाले डबल लाइट भव
जो बच्चे निरन्तर याद में रहते हैं वे सदा साथ का अनुभव करते हैं। उनके सामने कोई भी समस्या आयेगी तो अपने को कम्बाइण्ड अनुभव करेंगे, घबरायेंगे नहीं। ये कम्बाइण्ड स्वरूप की स्मृति कोई भी मुश्किल कार्य को सहज बना देती है। कभी कोई बड़ी बात सामने आये तो अपना बोझ बाप के ऊपर रख स्वयं डबल लाइट हो जाओ। तो फरिश्ते समान दिन-रात खुशी में मन से डांस करते रहेंगे।
स्लोगन: किसी भी कारण का निवारण कर सन्तुष्ट रहने और करने वाले ही सन्तुष्टमणि हैं।