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- Points to Churn from the Murli of June 5, 2011:
Posted by : PooMac Photography Studio
Saturday, June 4, 2011
ॐ शान्ति !
विचार मंथनके पॉइंट्स: जून ५, २०११:
मेरा बाबा ..प्यारा बाबा ..मीठा बाबा ..दयालु बाबा .. कृपालु बाबा ....
बाबा की महिमा ....
परमपिता परमात्मा शिवबाबा हैं ... सत बाप ... सत टीचर ... सत गुरु...सर्वशक्तिमान
योग ड्रिल प्रेक्टिस:
ए. हम आत्मायें- योग सभी आत्माओं को साथ लेकर प्रेक्टिस करें...
बी. मैं आत्मा- योग सिर्फ अपनी आत्मा और बाबा के साथ प्रेक्टिस करें....
सी. मैं नीराकारी हूँ- योग परमधाम में बिंदी स्वरुप में प्रेक्टिस करें...
डी. मैं आकारी हूँ- योग सूक्ष्मवतन में फ़रिश्ता स्वरुप में प्रेक्टिस करें...
ई. साकारी रूप में ब्रह्मा बाबा और मामा के साथ गोले पर बैठकर स्वमान की किरणें सारे विष्व में फैलाएँ...
स्टार पॉइंट : (सारा दिन प्रेक्टिस किजिये ) :
मैं स्वराज्य अधिकारी, विष्व अधिकारी, सिद्धि स्वरूप, मास्टर सर्वशक्तिमान विजयी रतन हूँ ....
पहला लेसन ............. आखरी लेसन ............. आत्मा का अभ्यास ...........
हरेक पॉइंट कम से कम ५ मिनट देही-अभिमानी स्थितिमें विचार मंथन करें:
योग ड्रिल:
१. हम आत्मायें - मैं मन बुद्धि और संस्कारों के सर्व अधिकारी सो विष्व अधिकारी हूँ..
२. हम आत्मायें - मैं सिद्धि स्वरूप सो मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ..
३. हम आत्मायें - मैं स्नेही, सहयोगी, शक्ति स्वरूपसे बाप की प्रत्यक्षता का झण्डा लहरा रहा हूँ ...सर्व शक्ति का झन्डा लहरा रहा हूँ…
४. हम आत्मायें - मैं सर्व शक्ति स्वरूप से सर्वशक्तिमान बाप का परिचय दे रहा हूँ…
५. हम आत्मायें - मैं मास्टर जानीजाननहार सो मास्टर त्रिकालदर्शी हूँ…
६. हम आत्मायें - मैं सदा काल की एकरस स्थिति वाला लाइट का फ़रिश्ता हूँ…
७. हम आत्मायें - मैं निराकारी ... आकारी हूँ ... मास्टर सर्व शक्तिमान हूँ…
८. हम आत्मायें - मैं निराकारी हूँ ... आकारी हूँ ... लाइट - हाउस .... माइट - हाउस हूँ…
९. हम आत्मायें - मैं निराकारी ... आकारी ... दिव्य सेवाधारी हूँ…
१०. हम आत्मायें - मैं निराकारी ... आकारी ... साकारी हूँ…
११. हम आत्मायें - मैं निर्बन्धन हूँ ... मेरा तो एक बाप दूसरा न कोई…
१२. हम आत्मायें - मैं सर्व को माया की जाल से छुड़ाने वाला निर्बन्धन फ़रिश्ता हूँ…
१३. हम आत्मायें - मैं तन और मन की हलचल में भी अचल रहने वाला देही-अभिमानी फ़रिश्ता हूँ…
योग कोमेंट्री ........... मैं सफेद वस्त्रधारी लाइट का फरिश्ता हूँ ... मैं लाइट का ताजधारी हूँ ... लाइट ही मेरा श्रुंगार है ... मेरे मस्तक से लाइट की किरणें निकल रही हैं ... मेरे नैनों से लाइट की किरणें निकल रही है ... मैं चलता फिरता लाइट हाउस हूँ ... माइट हाउस हूँ ... पावर हाउस हूँ ... सर्चलाइट हूँ ...डिवाइन इनसाईट हूँ ... मैं श्रेष्ठ संकल्पों से कारोबार चलाने वाला लाइट का फ़रिश्ता हूँ ... मैं लाइट हाउस बनकर सर्व परिस्थियों का सामना कर रहा हूँ ... मैं लाइट हाउस बनकर अपने दुःख दर्द कर्मभोग को समाप्त कर रहा हूँ...मैं लाइट का फ़रिश्ता सर्व को लाइट बना रहा हूँ ............
स्वमान ............स्वराज्य अधिकारी ... विष्वराज्य अधिकारी ... मास्टर सर्व शक्तिमान ... सिद्धि स्वरूप ... लाइट का फ़रिश्ता ... विजयी रतन ... स्नेही ... सहयोगी ... मास्टर जानीजाननहार ... मास्टर त्रिकालदर्शी ... लाइट हाउस ... माइट हाउस ... अशरीरी आत्मा ... निर्बन्धन आत्मा ... देहि-अभिमानी .....................
ध्यान की सूची ........... खुद को चेंज करने में टाइम लगता है ...तो उसे सदा का विजयी नहीं कहा जाता है ... तो औरों को भी विजयी बनाने में टाइम लगता है ....
नाँलेजफुल स्टेज ... मास्टर सर्व शक्तिमान स्टेज ... लाइट स्वरूप स्थिति ... लाइट हाउस बनेंगे तो ही सर्व पारिस्थियों का सामना कर सकेंगे ... कर्म भोग… माना शरीर के दुःख दर्द को समाप्त कर सकेंगे ... और अंतिम समय के विनाश के पेपर में पास होंगे ... लाइट रूप में स्थित होंगे तो कारोबार को हल्का कर सकेंगे जिसे बुद्धि लगानी नहीं पड़ेगी और समय अनुसार जो काम आवश्यक है वही काम करेंगे ... ये सोचना नहीं पड़ेगा ये करें या ना करें ...यही अंतिम सर्विस है ...अंतिम स्टेज कहा जाता है ...खुद लाइट रूप में स्थित होंगे तो दूसरों को भी लाइट बना सकेंगे
Om Shanti Divine Angels!
Points to Churn from the Murli of June 5, 2011:
My Baba…Loving Baba…Kind-hearted Baba…Compassionate Baba…
Praise of Baba:
The Supreme Father the Supreme Soul is…the True Father…the True Teacher…the True Guru…the Master Almighty Authority…
Yog Drill Practice:
a. We, the souls- Practice meditation including all the souls…
b. I, the soul- Practice meditation between only Baba and you…
c. I am a point of light- Practice meditation in the incorporeal world as a point…
d. I am double light- Practice meditation in the subtle region in your angelic form…
e. In the corporeal form seat yourself along with Brahma Baba and Mama on top of the globe, and spread the rays of that point of self-respect you are practicing, in the whole world…
Star Point: (Practice all day):
I claim a right over self sovereignty, claim a right over the world, I am an embodiment of success and a master almighty authority…
The first lesson is the last lesson…the study of the soul…
Please repeat each point 12-15 times, very slowly and churn each point at least for 5 minutes in a soul conscious state:
Yog Drill:
1. We, the souls- I claim a right over my mind, intellect and sanskars…so I claim a right over the world….
2. We, the souls- I am an embodiment of success and a master almighty authority…
3. We, the souls- I am an embodiment of love, co-operation and Shaktis…I reveal the Father by hoisting the flag of all powers…
4. We, the souls- I am an embodiment of Shakti…I give the introduction of the Almighty Authority Father…
5. We, the souls- I am master janijananhar so master trikaldarshi…
6. We, the souls- I am an angel of light…I have a constant and stable stage all the time…
7. We, the souls- a point of light…double light…master almighty authority…
8. We, the souls- a point of light…double light…I am a light house…I am a might house…
9. We, the souls- a point of light…double light…I am a divine server…
10. We, the souls- a point of light…double light…corporeal…
11. We, the souls- I am free of bondage…I belong to the One Father and none other…
12. We, the souls- I am an angel free from bondage…I liberate the whole world from the trap of Maya…
13. We, the souls- I am a soul conscious angel…I remain unshakable in the upheaval of the mind and body…
Yog Commentary
I am an angel of light dressed in white…I have a crown of light… light is my adornment… rays of light emerges from my forehead… rays of light emerge from my eyes… I am a walking and moving lighthouse… a might house… a powerhouse…a search light…with divine insight…I am an angel of light...I conduct my business with elevated thoughts…I face all situations by being a light house…I finish my pain and sorrow and the consequences of karma by being a light house…I, the angel of light, make everyone light…
Points of Self Respect:
Claim a right to self sovereignty…claim a right to the kingdom of the world…master almighty authority…embodiment of success…angel of light…victorious jewel…loving…co-operative…master janijananhar…master trikaldarshi…light house…might house…bodiless soul…a soul free from bondages…soul conscious…
Points to pay attention:
If you take time to change yourself, or if you are not constantly victorious, then you have to use greater time and energy in making others victorious…
Knowledge-full stage… the master almighty stage...the stage of being an embodiment of light…by being a light house you will be able to face all kinds of situations…the consequences of karma…which means that you will be able to finish the pain and suffering of the body…you will be able to pass the final paper at the time of destruction…if you are stable in the form of light then you will be light while conducting business, for which you will not have to use your intellect and will perform the right actions according to the time…you will not have to think whether to do or not to do…this is the final service…the final stage…if you are stable in the form of light, you will be able to make others light….
विचार मंथनके पॉइंट्स: जून ५, २०११:
मेरा बाबा ..प्यारा बाबा ..मीठा बाबा ..दयालु बाबा .. कृपालु बाबा ....
बाबा की महिमा ....
परमपिता परमात्मा शिवबाबा हैं ... सत बाप ... सत टीचर ... सत गुरु...सर्वशक्तिमान
योग ड्रिल प्रेक्टिस:
ए. हम आत्मायें- योग सभी आत्माओं को साथ लेकर प्रेक्टिस करें...
बी. मैं आत्मा- योग सिर्फ अपनी आत्मा और बाबा के साथ प्रेक्टिस करें....
सी. मैं नीराकारी हूँ- योग परमधाम में बिंदी स्वरुप में प्रेक्टिस करें...
डी. मैं आकारी हूँ- योग सूक्ष्मवतन में फ़रिश्ता स्वरुप में प्रेक्टिस करें...
ई. साकारी रूप में ब्रह्मा बाबा और मामा के साथ गोले पर बैठकर स्वमान की किरणें सारे विष्व में फैलाएँ...
स्टार पॉइंट : (सारा दिन प्रेक्टिस किजिये ) :
मैं स्वराज्य अधिकारी, विष्व अधिकारी, सिद्धि स्वरूप, मास्टर सर्वशक्तिमान विजयी रतन हूँ ....
पहला लेसन ............. आखरी लेसन ............. आत्मा का अभ्यास ...........
हरेक पॉइंट कम से कम ५ मिनट देही-अभिमानी स्थितिमें विचार मंथन करें:
योग ड्रिल:
१. हम आत्मायें - मैं मन बुद्धि और संस्कारों के सर्व अधिकारी सो विष्व अधिकारी हूँ..
२. हम आत्मायें - मैं सिद्धि स्वरूप सो मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ..
३. हम आत्मायें - मैं स्नेही, सहयोगी, शक्ति स्वरूपसे बाप की प्रत्यक्षता का झण्डा लहरा रहा हूँ ...सर्व शक्ति का झन्डा लहरा रहा हूँ…
४. हम आत्मायें - मैं सर्व शक्ति स्वरूप से सर्वशक्तिमान बाप का परिचय दे रहा हूँ…
५. हम आत्मायें - मैं मास्टर जानीजाननहार सो मास्टर त्रिकालदर्शी हूँ…
६. हम आत्मायें - मैं सदा काल की एकरस स्थिति वाला लाइट का फ़रिश्ता हूँ…
७. हम आत्मायें - मैं निराकारी ... आकारी हूँ ... मास्टर सर्व शक्तिमान हूँ…
८. हम आत्मायें - मैं निराकारी हूँ ... आकारी हूँ ... लाइट - हाउस .... माइट - हाउस हूँ…
९. हम आत्मायें - मैं निराकारी ... आकारी ... दिव्य सेवाधारी हूँ…
१०. हम आत्मायें - मैं निराकारी ... आकारी ... साकारी हूँ…
११. हम आत्मायें - मैं निर्बन्धन हूँ ... मेरा तो एक बाप दूसरा न कोई…
१२. हम आत्मायें - मैं सर्व को माया की जाल से छुड़ाने वाला निर्बन्धन फ़रिश्ता हूँ…
१३. हम आत्मायें - मैं तन और मन की हलचल में भी अचल रहने वाला देही-अभिमानी फ़रिश्ता हूँ…
योग कोमेंट्री ........... मैं सफेद वस्त्रधारी लाइट का फरिश्ता हूँ ... मैं लाइट का ताजधारी हूँ ... लाइट ही मेरा श्रुंगार है ... मेरे मस्तक से लाइट की किरणें निकल रही हैं ... मेरे नैनों से लाइट की किरणें निकल रही है ... मैं चलता फिरता लाइट हाउस हूँ ... माइट हाउस हूँ ... पावर हाउस हूँ ... सर्चलाइट हूँ ...डिवाइन इनसाईट हूँ ... मैं श्रेष्ठ संकल्पों से कारोबार चलाने वाला लाइट का फ़रिश्ता हूँ ... मैं लाइट हाउस बनकर सर्व परिस्थियों का सामना कर रहा हूँ ... मैं लाइट हाउस बनकर अपने दुःख दर्द कर्मभोग को समाप्त कर रहा हूँ...मैं लाइट का फ़रिश्ता सर्व को लाइट बना रहा हूँ ............
स्वमान ............स्वराज्य अधिकारी ... विष्वराज्य अधिकारी ... मास्टर सर्व शक्तिमान ... सिद्धि स्वरूप ... लाइट का फ़रिश्ता ... विजयी रतन ... स्नेही ... सहयोगी ... मास्टर जानीजाननहार ... मास्टर त्रिकालदर्शी ... लाइट हाउस ... माइट हाउस ... अशरीरी आत्मा ... निर्बन्धन आत्मा ... देहि-अभिमानी .....................
ध्यान की सूची ........... खुद को चेंज करने में टाइम लगता है ...तो उसे सदा का विजयी नहीं कहा जाता है ... तो औरों को भी विजयी बनाने में टाइम लगता है ....
नाँलेजफुल स्टेज ... मास्टर सर्व शक्तिमान स्टेज ... लाइट स्वरूप स्थिति ... लाइट हाउस बनेंगे तो ही सर्व पारिस्थियों का सामना कर सकेंगे ... कर्म भोग… माना शरीर के दुःख दर्द को समाप्त कर सकेंगे ... और अंतिम समय के विनाश के पेपर में पास होंगे ... लाइट रूप में स्थित होंगे तो कारोबार को हल्का कर सकेंगे जिसे बुद्धि लगानी नहीं पड़ेगी और समय अनुसार जो काम आवश्यक है वही काम करेंगे ... ये सोचना नहीं पड़ेगा ये करें या ना करें ...यही अंतिम सर्विस है ...अंतिम स्टेज कहा जाता है ...खुद लाइट रूप में स्थित होंगे तो दूसरों को भी लाइट बना सकेंगे
Om Shanti Divine Angels!
Points to Churn from the Murli of June 5, 2011:
My Baba…Loving Baba…Kind-hearted Baba…Compassionate Baba…
Praise of Baba:
The Supreme Father the Supreme Soul is…the True Father…the True Teacher…the True Guru…the Master Almighty Authority…
Yog Drill Practice:
a. We, the souls- Practice meditation including all the souls…
b. I, the soul- Practice meditation between only Baba and you…
c. I am a point of light- Practice meditation in the incorporeal world as a point…
d. I am double light- Practice meditation in the subtle region in your angelic form…
e. In the corporeal form seat yourself along with Brahma Baba and Mama on top of the globe, and spread the rays of that point of self-respect you are practicing, in the whole world…
Star Point: (Practice all day):
I claim a right over self sovereignty, claim a right over the world, I am an embodiment of success and a master almighty authority…
The first lesson is the last lesson…the study of the soul…
Please repeat each point 12-15 times, very slowly and churn each point at least for 5 minutes in a soul conscious state:
Yog Drill:
1. We, the souls- I claim a right over my mind, intellect and sanskars…so I claim a right over the world….
2. We, the souls- I am an embodiment of success and a master almighty authority…
3. We, the souls- I am an embodiment of love, co-operation and Shaktis…I reveal the Father by hoisting the flag of all powers…
4. We, the souls- I am an embodiment of Shakti…I give the introduction of the Almighty Authority Father…
5. We, the souls- I am master janijananhar so master trikaldarshi…
6. We, the souls- I am an angel of light…I have a constant and stable stage all the time…
7. We, the souls- a point of light…double light…master almighty authority…
8. We, the souls- a point of light…double light…I am a light house…I am a might house…
9. We, the souls- a point of light…double light…I am a divine server…
10. We, the souls- a point of light…double light…corporeal…
11. We, the souls- I am free of bondage…I belong to the One Father and none other…
12. We, the souls- I am an angel free from bondage…I liberate the whole world from the trap of Maya…
13. We, the souls- I am a soul conscious angel…I remain unshakable in the upheaval of the mind and body…
Yog Commentary
I am an angel of light dressed in white…I have a crown of light… light is my adornment… rays of light emerges from my forehead… rays of light emerge from my eyes… I am a walking and moving lighthouse… a might house… a powerhouse…a search light…with divine insight…I am an angel of light...I conduct my business with elevated thoughts…I face all situations by being a light house…I finish my pain and sorrow and the consequences of karma by being a light house…I, the angel of light, make everyone light…
Points of Self Respect:
Claim a right to self sovereignty…claim a right to the kingdom of the world…master almighty authority…embodiment of success…angel of light…victorious jewel…loving…co-operative…master janijananhar…master trikaldarshi…light house…might house…bodiless soul…a soul free from bondages…soul conscious…
Points to pay attention:
If you take time to change yourself, or if you are not constantly victorious, then you have to use greater time and energy in making others victorious…
Knowledge-full stage… the master almighty stage...the stage of being an embodiment of light…by being a light house you will be able to face all kinds of situations…the consequences of karma…which means that you will be able to finish the pain and suffering of the body…you will be able to pass the final paper at the time of destruction…if you are stable in the form of light then you will be light while conducting business, for which you will not have to use your intellect and will perform the right actions according to the time…you will not have to think whether to do or not to do…this is the final service…the final stage…if you are stable in the form of light, you will be able to make others light….
Thanx shivaniji for your divine thoughts has solved my problem and also gave my Q's answers .............om shanti.
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