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- विचार सागर मंथन: फ़रवरी २५, २०१२
Posted by : PooMac Photography Studio
Friday, February 24, 2012
ॐ शान्ति दिव्य फरिश्ते !!!
विचार सागर मंथन: फ़रवरी २५, २०१२
बाबा की महिमा: परमपिता परमात्मा शिव बाबा हैं...मेरा बाबा...प्यारा बाबा...मीठा बाबा...दयालु बाबा...कृपालु बाबा... सत बाप...सत टीचर...सत गुरु...सर्वशक्तिमान...बेहद का बाप... मात-पिता...गॉड फ़ादर...ज्ञान का सागर...नॉलेज फुल...सत्य ...अमर...ज्ञान सूर्य...अमर नाथ ...निराकार बाप...क्रिएटर...डायरेक्टर...मु ख्य एक्टर...श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ शिव बाबा...कल्याणकारी...
स्वमान और आत्मा अभ्यास: १. हम आत्माएँ, बाप को प्यार से याद करनेवाले, दिल से मेरा बाबा, प्यारा बाबा, मीठे बाबा कहनेवाले, दिलचस्पी से रस्नीय रूह रिहान कर मुख में रस चखनेवाले, मीठे, प्यारे, सिकीलधे, ईश्वरीय फैमिली के चढ़ती कला वाले बच्चे हैं...बेहद के बाप के बेहद के बच्चे, बेहद के हार- जीत के खेल के बेहद के एकटर्स, मनमनाभव होकर बेहद का खुशबूदार सुख का वर्से लेनेवाले,पवित्र, पावन,परम पूज्य,शुद्ध, श्रेष्ठ सतोप्रधान हैं...
२. हम अजर, अमर अविनाशी स्टार मिसल आत्माएँ, अमरनाथ से अमरकथा सुन, अमर लोक में जानेवाली पार्वतियाँ हैं... नईदुनिया, नया अपरमअपार महीमावला भारत के मालिक हैं...ज्ञान के सोझरे में रह शिव बाबा को याद कर आत्मा की ज्योति का घृत भर दिवा जगाकर बाप के साथ वापिस परमधाम जानेवाले, स्वदर्शनचक्रधारी हैं...सर्व गुण सम्पन्न, १६ कला सम्पूर्ण,सम्पूर्ण निर्विकारी, मर्यादा पुरुषोत्तम, डबल अहिंसक डबल सिरताज सतयुग के महाराजा, महारानी हैं...
३. हम आत्माएँ, कल्याणकारी बाप के कल्याणकारी संगम युग के कल्याणकारी बच्चे, सब प्रति कल्याण की भावना रखनेवाले,मास्टर कल्याणकारी हैं...न्यारे और प्यारे होकर कर्म करनेवाले, संकल्प पर एक सेकण्ड में फूल-स्टॉप लगानेवाले, मनजीत,मायाजीत, प्रकृतिजीत हैं...मनुष्यात्माओं और प्रकृति का कल्याण करनेवाले, महादानी, वरदानी, विश्व परिवर्तक, विश्व कल्याणकारी हैं...
स्टार पॉइंट :- हम आत्मायें मात पिता बापदादा का याद प्यार नमस्ते गुड मोर्निग मुबारक वरदान स्वीकार करने वाला बापका मीठा रूहानी सिकिल्धा - ज्ञान दीपक हूँ .... ज्ञान :- मैं आत्मा ज्ञान सागर की संतान ज्ञान दीपक हूँ ..... ज्ञान सेसोझरा , ज्ञान से उजियाला , ज्ञान से सुख पाने वाला आत्म दीपक हूँ ...... बाप का एडोप्ट बच्चा हूँ ..... गोड़ फाधरलीचिल्ड्रन हूँ .... स्वदर्शन चक्रधारी हूँ ...... योग :- मैं आत्मा ज्ञानसूर्य बाप की याद वाला सम्पूर्ण सतोप्रधान हूँ ..... मैं आत्मासर्वशक्तिमान की संतान हूँ -- सर्व शक्तियों में सम्पन्न और सम्पूर्ण हूँ ..... धारणा :- मैं आत्मा सम्पूर्ण सतोप्रधान सूर्यवंशीदेवता हूँ .... मैं आत्मा बेहद ड्रामा में बेहद बाप का बेहद का बच्चा बेहद सुख , बेहद वर्से का अधिकारी हूँ ..... विश्व कामालिक हूँ ...... सेवा + वरदान :- मैं भी कल्याणकारी , बाप भी कल्याणकारी , और बच्चे भी कल्याणकारी , संगमयुग मानासमय भी कल्याणकारी हूँ .... मैं आत्मा स्वयं और सर्व कल्याण करने वाला प्रकृतिजीत मायाजीत महादानी महावरदानीमहाज्ञानी महायोगी महासह्योगी विश्व कल्याणकारी विश्व परिवर्तक विश्व का मालिक हूँ .....
शनिवार ---- डे ऑफ़ मर्सीफूल स्टेज --- सुख स्वरूप --- अग्नि तत्व -- यलो कलर ----- मैं सुख का प्रकाश हूँ , सुखमयज्योति स्वरूप हूँ , सुख स्वरूप में स्थित हूँ , मेरे चारो और सुखद लाइट का पिला प्रकाश है .....मैं सुखदेव हूँ , चारो और सर्वसुखों का भण्डार भरपूर है , प्रकृति भी सम्पूर्ण सुखदाई है , मेरी सारी कर्मेन्द्रिया सुखदाई है ...... मैं सुख की मूर्ती हूँ .....सभी को सुख का वरदान दे रही हूँ ...... सर्व की झोली सुखो से भरपूर हो रही है ....... संतोषी हूँ ...... मैं सुख सागर कीसंतान मास्टर सुख का सागर हूँ .... सुख स्वरूप में स्थित हूँ .... मेरा हर कर्म सभी को सुख देने वाला है .....मैं सुख काफ़रिश्ता हूँ ...... चारो और सुख चांदनी की लाइट है ..... अतीन्द्रिय सुख के पीले प्रकाश के झूले में झूल रहा हूँ ...... मेरा हरकर्म सभी के जीवन को सुखी बनाने वाला था .... हर बोल मेरा सत्य सुख देने वाला था .... अभी भी मैं आत्मा उसी अपनेसम्पूर्ण सुख स्वरूप स्थिति को देख रही हूँ .... बाबा अभी आपने मेरे अन्दर सब के प्रति इतनी शुभ भावनाएं भर दी है
शनिवार ---- डे ऑफ़ मर्सीफूल स्टेज --- सुख स्वरूप --- अग्नि तत्व -- यलो कलर ----- मैं सुख का प्रकाश हूँ , सुखमयज्योति स्वरूप हूँ , सुख स्वरूप में स्थित हूँ , मेरे चारो और सुखद लाइट का पिला प्रकाश है .....मैं सुखदेव हूँ , चारो और सर्वसुखों का भण्डार भरपूर है , प्रकृति भी सम्पूर्ण सुखदाई है , मेरी सारी कर्मेन्द्रिया सुखदाई है ...... मैं सुख की मूर्ती हूँ .....सभी को सुख का वरदान दे रही हूँ ...... सर्व की झोली सुखो से भरपूर हो रही है ....... संतोषी हूँ ...... मैं सुख सागर कीसंतान मास्टर सुख का सागर हूँ .... सुख स्वरूप में स्थित हूँ .... मेरा हर कर्म सभी को सुख देने वाला है .....मैं सुख काफ़रिश्ता हूँ ...... चारो और सुख चांदनी की लाइट है ..... अतीन्द्रिय सुख के पीले प्रकाश के झूले में झूल रहा हूँ ...... मेरा हरकर्म सभी के जीवन को सुखी बनाने वाला था .... हर बोल मेरा सत्य सुख देने वाला था .... अभी भी मैं आत्मा उसी अपनेसम्पूर्ण सुख स्वरूप स्थिति को देख रही हूँ .... बाबा अभी आपने मेरे अन्दर सब के प्रति इतनी शुभ भावनाएं भर दी है