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Posted by : PooMac Photography Studio
Sunday, February 26, 2012
ॐ शान्ति दिव्य फरिश्ते !!! विचार सागर मंथन: फ़रवरी २७, २०१२
बाबा की महिमा: परमपिता परमात्मा शिव बाबा हैं...मेरा बाबा...प्यारा बाबा...मीठा बाबा...दयालु बाबा...कृपालु बाबा... सत बाप...सत टीचर...सत गुरु...दाता...प्रीतम...साजन... ऊँचे ते ऊँच भगवान...गॉड फ़ादर...सबको मुक्ति और जीवन-मुक्ति देनेवाला दाता...पतीतों को पावन करता...दुःख हरता सुख करता...सर्व शक्तिमान बाप...अंधों की लाठी ...
स्वमान और आत्मा अभ्यास: १. हम आत्माएँ, एक प्रीतम की प्रीतमाएँ हैं...एक माशूक के आशिक हैं...एक साजन के सजनियाँ हैं...अपना सब कुछ, तन -मन-धन, मन्सा -वाचा -कर्मणा, ईश्वरीय कार्य में सफल करनेवाले, बाप पर बलिहार जानेवाले, ऊँच ते ऊँच बाबा द्वारा ऊँच ते ऊँच वर्सा पानेवाले, स्वर्ग के बादशाह हैं... सेन्सिबुल बन चलते फिरते शौकसे ईश्वरीय सेवा करनेवाले, सब को राज योग सीखाकर बाप का परिचय देनेवाले, सतयुग के प्रिन्स-प्रिन्सेज हैं...
२. हम आत्माएँ, और संग तोड़ एक संग जोड़नेवाले, ऊँचे ते ऊँचे बाप को हर रोज़ ८ घंटा याद कर पवित्र,पावन परम पूज्य बन, ऊँच पद पाकर ऊँच मंज़िल पर पहुचनेवाले, तीव्र पुरुषार्थी हैं... अंत मति सो गति ...निरन्तर याद कर, अंत में बाबा की ही याद में रहनेवाले, बाप के साथ उनके देश वापिस जानेवाले, चक्र वर्ती राजा हैं...ज्ञान के तीसरे नेत्रवाले, तेज बुद्धि स्टूडेंट हैं...बाप समान सबको मुक्ति जीवन-मुक्ति का रास्ता बताने वाले अंधों की लाठी है...
३. हम आत्माएँ, सदा मालिकपन की स्मृति में स्थित रहकर अपने संकल्प ऑर्डर प्रमाण चलानेवाले, मन को वश मे रख, स्व प्रति व सर्व के प्रति आत्मिक भाव के श्रेष्ठ अर्थ में टिक जानेवाले, अपने अनादि और आदि संस्कारों को स्मृति में लानेवाले,वरदानों की शक्ति जमा कर, परिस्थिति रूपी आग को पानी बनानेवाले, समर्थ हैं...
स्टार पॉइंट :- मैं आत्मा, बाप का मीठा रूहानी सिकिल्धा ---- ८ घंटे की याद की सर्विस वाला राजयोगी पावन प्रिन्स हूँ ......
ज्ञान :- मैं आत्मा और संग तोड़ एक संग में जुटे रहने की पूरी महेनत वाला माना रोज मुरली का सत्संग करने वाला ,माना रोज पढने वाला तेज बुद्धि गोड़ फाधरली स्टुडेंट हूँ ....
योग :- मैं आत्मा बाप पर बलिहार जाने वाला , ८ घंटा याद की सर्विस वाला , निरंतर याद वाला अंत मति सो गति वाला सतयुग का पावन प्रिन्स हूँ ...
धारणा :- मैं आत्मा सम्पूर्ण पवित्र उंच पद वाला , उंच वर्से वाला , दैवी कुल का देवता हूँ ......
सेवा :- मैं आत्मा चलते फिरते सेवा करने वाला , बाप का परिचय देने वाला , सर्व को मुक्ति जीवनमुक्ति देने वाला , सर्व को ब्लेसिंग देने वाला , सर्विस का शौक़ीन बाप का सेन्सीबुल बच्चा हूँ ...... सब कुछ सफल करने वाला , सुष्टि चक्र पर समझाने वाला चक्रवर्ती राजा हूँ .....
योग कोमेंट्री:
योग कोमेंट्री:
मन्डे - सायलन्स का दिन - शान्ति का दिन - पीसफूल स्टेज - कम बोलो धीरे बोलो मीठे बोलो सोच के बोलो समझ केबोलो सत्य बोलो शुभ बोलो ---
मैं एक आत्मा हूँ .... मैं आत्मा शान्त स्वरूप हूँ ... शान्ति मुझ आत्मा का निजी गुण है .... शान्ति मेरा असली स्वभाव है.... शान्ति मुझ आत्मा का स्वधर्म है ...शान्ति की शक्ति मुझ आत्मा में समाई हुई है ... मैं आत्मा शान्ति के सागरशिवबाबा की संतान शांत स्वरूप हूँ .... मेरा असली धाम पांच तत्वों से पार शांतिधाम है..... जहाँ सर्वत्र शान्ति ही शान्ति है.... प्रकाश ही प्रकाश है ... मैं शांत स्वरूप आत्मा शांतिधाम में शान्ति के सागर शिवबाबा के सम्मुख हूँ .... इस धाम मेंमैं आत्मा सर्व प्रकार के बन्धनों से मुक्त हूँ .... संकल्प से भी मुक्त हूँ .... मैं आत्मा शान्ति की अधिकारी हूँ .... शान्ति मुझ आत्मा की सब से महान शक्ति है .... मेरे चारों और शान्ति ही शान्ति है .... मीठे बाबा आपने मुझे शान्ति काअनमोल खजाना देकर भरपूर कर दिया है .... आप मेरे जीवन के सच्चे सहारे हो बाबा ..... मेरे सच्चे मीत हो .... शान्ति की किरणों आप से निकल मुझ आत्मा पर आ रही है .... आप से अपार शान्ति मिल रही है .... आप के द्वारा सर्व खजानेप्राप्त कर मैं संतुष्ट हूँ .... तुप्त हूँ .... आप का सहारा पाकर मैं आत्मा निश्चिन्त हूँ .... आप ही मेरे सहारे हो .... कितनीशान्ति ही शान्ति है .... दिव्य शान्ति का ... परम शान्ति का .... शीतलता का .... अनुभव कितना सुहावना है .... मैंआत्मा शान्ति के सागर में समाई हुई हूँ .... अब शान्ति के प्रकम्प मुझ आत्मा से निकल कर चारों और फैल रहे है ...चारों और का वायुमंडल वातावरण वायुमंडल वायब्रेशन अब परिवर्तन होने लगा है ..... शान्ति के प्रकम्प चारों और फैल रहेहै ... इसे सहज ही और विश्व में शान्ति आ जायेगी और ये संसार सारा स्वर्ग बन जायेगा .....सारा जड़ और चैतन्य शान्ति शीतल सुहावना है ....... मैं आत्मा शान्ति सागर की संतान शांतस्वरूप हूँ बाबा की शान्ति की प्रकम्प मुझ पर उतर करसारे जड़ और चैतन्य में समाता जा रहा है .... मैं आत्मा एक दो को हाँ जी करते , शुक्रिया करते साइलेन्स ल प्रकम्प विश्वमें फैला रही हूँ .......
अब मैं आत्मा शिवबाबा पर-मा से निकलती हुई शान्ति की आसमानी रंग की किरणों को मेरी और आती हुई देख रही हूँ..... ये किरणे मेरे अन्दर शान्ति के क्षेत्र को आलोकित कर रही है .... मुझे परम शान्ति की अनुभूति हो रही है ....शिवबाबा की ये आसमानी रंग की शान्ति की किरणें मेरे शान्ति के क्षेत्र को भरकर साकार लोक में प