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- Points to Churn from the Murli of June 25, 2011:
Posted by : PooMac Photography Studio
Friday, June 24, 2011
ॐ शान्ति दिव्य फ़रिश्ते !!
विचार मंथनके पॉइंट्स: जून २५, २०११:
यह पाठशालाओं की पाठशाला है .... यज्ञों का यज्ञ है ...... मैं ब्रह्मा मुखवंशावाली .............स्वदर्शन चक्रधारी... ब्राहमण कुलभूषण... नूरे रतन... कायदे से पढ़ने वाला गोड़ फाधरली स्टुडेंट हूँ .....
मेरा बाबा ..प्यारा बाबा ..मीठा बाबा ..दयालु बाबा .. कृपालु बाबा ....
बाबा की महिमा ....
परमपिता परमात्मा शिवबाबा हैं ... सत बाप .... सत टीचर .... सत गुरु ......सर्व का सद्गति दाता एक बाप .... रचयिता ..... बाबा सत चैतन्य ज्ञान का सागर हैं .....बेहद का बाप .... क्रियेटर .... डायरेक्टर ................. स्टार पॉइंट : (सारा दिन प्रेक्टिस किजिये ) : |
मैं आत्मा बाप से सम्मुख पढ़ने वाली महान सौभाग्यशाली हूँ .....
हरेक पॉइंट कम से कम ५ मिनट देही-अभिमानी स्थिति में विचार मंथन करें:
स्वमान और आत्मा का अभ्यास ....
१. हम - मैं आत्मा ब्राहमण धर्म वाला ब्रह्मा का बच्चा हूँ...
२. हम - मैं आत्मा शांतिधाम की निवासी शान्त स्वरूप हूँ...
३ . हम - मैं आत्मा सर्व गुण सम्पन्न हूँ...
४. हम - मैं आत्मा उँचे ते उंच बिरादरी वाला हूँ...
५. हम - मैं आत्मा सुखधाम का मालिक हूँ ...... साहूकार हूँ...
६. हम - मैं आत्मा भारतवासी हूँ .....देवी-देवता धर्म का हूँ...
७. हम - मैं आत्मा तन मन धन सेवा करने वाला यज्ञप्यारा हूँ...
८. हम - मैं आत्मा सच्चा सच्चा वैष्णव हूँ...
९. हम - मैं आत्मा सर्व अलंकारों से सुस्जीत विष्णु चतुर्भुज हूँ...
१०. हम - मैं आत्मा निराकारी अलंकारी कल्याणी हूँ...
११. हम - मैं निराकारी .... आकारी .... अलंकारी हूँ...(ड्रिल)
१२. हम - मैं आत्मा हर कर्म में बेलेन्स रखने वाला दुआओं का पात्र हूँ...
योग कोमेंट्री ........... मैं अविनाशी आत्मा हूँ बाप का बच्चा हूँ ..... यह शरीर धारण कर मनुष्य बना हूँ ..... यह शरीर मेरा रथ है ..... मैं आत्मा इस शरीर को चला ने वाली रथी हूँ ..... मैं आत्मा मूलवतन की रहेवासी हूँ .... मैं अपने स्वधर्म में स्थित हूँ ..... मैं आत्मा शांति सागर की संतान शान्त स्वरूप हूँ ..... और शांतिधाम की निवासी हूँ ..... सच्ची शांति में बैठी हूँ .....
ॐ शांति .....ॐ शांति ..... ॐ शांति ...........
योग कोमेंट्री ........................मैं आत्मा शरीर रूपी रथ पर सवार हूँ ..... और सुर्ष्टि मंच पर मनुष्य का पार्ट बजा रही हूँ ...... मैं आत्मा ८४ जन्मों की पार्टधारि हूँ .....पहले हम सूर्यवंशी थें ......फिर चंद्रवंशी सो वैश्यवंशी सो शूद्रवंशी बनें ..... अब फिर से सूर्यवंशी देवता बनना है ..... मैं आत्मा बाप से सद्गति मार्ग की यथार्थ बातें समझ कर २१ जन्मों की सद्गति प्राप्त कर रही हूँ .....बाप की शिक्षाओं धारण कर रही हूँ .....ड्रामा के आदि मध्य अन्त के नाँलेज को बुद्धि में रख हर्षितमुख होकर अपना पार्ट इस सृष्टि मंच पर बजा रही हूँ ..... हम आत्माए सृष्टि चक्र को जानने वाले ब्रह्मा के बच्चे हैं ..... मैं आत्मा ईश्वरीय पढाई में हूँ ..... परमपिता परमात्मा मुझे पढ़ा रहा हैं ......यह हमारी पाठशालाओं की पाठशाला है .... यज्ञों का यज्ञ है ..... मैं आत्मा स्वराज्य के लिए ज्ञान यज्ञ में राजयोग सिख रहा हूँ ..... मैं आत्मा तन मन धन से मन्सा वाचा कर्मणा से पूरे पूरा यज्ञ में स्वाहा हूँ ....सफल सम्पन्न सम्पूर्ण और विजयी हूँ ..... बेहद का बाप हम बच्चों को एक साथ ले जाने के लिए आया हुआ हैं .............................
ॐ शांति .....ॐ शांति ..... ॐ शांति ...........
योग कोमेंट्री ........... मैं आत्मा सर्वगुण सम्पन्न .....सोला कला सम्पूर्ण .....सम्पूर्ण निर्विकारी ..... मर्यादा पुरुशोत्तम ..... डबल अहिंसक देवता हूँ ...... मैं आत्मा दिव्य कर्मधारी हूँ ..... मैं आत्मा दिव्य शरीरीधारी हूँ... दिव्य संस्कारी हूँ .....दिव्य गुणधारी हूँ ...... दिव्य शक्तिधारी हूँ .....दैवी स्वभावधारी देवता हूँ ....... मैं आत्मा सदैव सर्व गुणों के गेहने और अलंकारों से सजे सजाये हर्षितमुख देवता हूँ ...... विष्णु चतुरभुज हूँ ...... अलंकारी हूँ ..... सूर्यवंशी हूँ ..... विष्णुवंशी हूँ ..... ताजधारी तख्तधारी तिलकधारी राज्य अधिकारी हूँ ...... विश्व का मालिक हूँ ..... सुखधाम का मालिक हूँ .... धनवान हूँ ..... साहूकार हूँ ..... मैं आत्मा भारतवासी उंच महान पवित्र देवी -देवता हूँ ....... आदि सनातन देवी - देवता धर्म का हूँ .............................
ज्ञान सूची ........... यह अश्र्वमेध अविनाशी रूद्र गीताज्ञान यज्ञ में सब कुछ स्वाहा होना है ..... कोई भी बात की भावी माना ड्रामा की भावी समझना है ..... सूर्यवंशियो राजा-रानी ने चन्द्रवंशियो के पैर आदि धोकर राज्य तिलक दे तख्त पर बिठाते हैं ..... चंद्रवंशियो को राजा राम रानी सीता का टाइटल मिलता है ..... लड़ाई आदि की बात नहीं है ..... मैं इन साधू आदि सब का उद्धार कर सब को शान्तिधाम में ले जाता हूँ .....शान्तिधाम मूलवतन में सब के अपने अपने अलग सेक्शन है .... सूर्यवंशीयो का अलग ,चन्द्रवंशियो का अलग ,फिर बाद में इस्लामी ,बौद्धि ,सन्यासी आदि जो भी आते है ,सब का सेक्शन अलग अलग बना हुआ है ..... मूलवतन में भी एसी नबरवार माला बनी हुई है ..... आदि सनातन देवी देवता धर्म वालों की है पहली बिरादरी फिर और बिरादरियाँ निकलती हैं ......देवता धर्म की बिरादरी है बड़े ते बड़ी और दूसरे जो धर्म स्थापक आते है -सब उनसे निकले हुए हैं ..... मुख्य चार बिरादरियाँ ......पहले देवता ..... फिर इस्लामी ..... बौद्धि ......क्रिश्र्च्यन .....यह पाठशालाओं की पाठशाला है .... यज्ञों का यज्ञ है ...... भारत उंच ,महान और पवित्र था .........................
Om Shanti Divine Angels!
Points to Churn from the Murli of June 25, 2011:
This is the study school (pathshala) of all study schools...the yagya of all yagyas...(sacrificial fire)....I am the mouth-born creation of Brahma...the spinner of the discus of self realization...the decoration of the Brahmin clan...the jewel of Baba’s eyes...the God-Fatherly student who studies according to the law...
My Baba…Sweet Baba…Loving Baba…Kind-hearted Baba…Compassionate Baba…
Praise of Baba:
The Supreme Father the Supreme Soul is…the True Father...the True Teacher...the True Guru... the Bestower of Liberation for all......Baba, the Truth, the Living Being, the Ocean of Knowledge...the Unlimited Father... the Creator...the Director...
Star Point: (Practice all day):
I am a soul...I have the great fortune of studying personally in front of the Father....
Please repeat each point 12-15 times, very slowly and churn each point at least for 5 minutes in a soul conscious state:
Study of the Soul and Self-Respect:
1. We- I am a soul…the child of Brahma...belonging to the Brahmin religion...
2. We- I am a soul…a resident of the land of peace...I am an embodiment of peace...
3. We- I am a soul…full of all divine virtues...
4. We- I am a soul…I belong to the highest on high community...
5. We- I am a soul…the master of the land of happiness...I am wealthy and prosperous...
6. We- I am a soul…a resident of Bharat...I belong to the deity religion...
7. We- I am a soul…I love the yagya with my body mind and wealth...
8. We- I am a soul…a true Vaishnav...
9. We- I am a soul…a four-armed Vishnu adorned with all ornaments...
10. We- I am a soul…I am incorporeal...adorned with ornaments...a benefactor...
11. We- I am a soul…I am incorporeal at one moment…angelic in the next moment …I am adorned with ornaments in the corporeal form in the next moment...(drill)
12. We- I am a soul…I have balance at every moment in all my actions...I receive a lot of blessings from everyone...
Yog Commentary:
I am an imperishable soul...a child of the Father...I have become a human being by adopting this costume...this body is my chariot...I, the soul am the charioteer who drives this body...I am the resident of the soul world...I am stable in my original religion...I am the child of the Ocean of Peace..I am an embodiment of peace...I am a resident of the land of peace...I am sitting in true peace...
Om Shanti... Om Shanti... Om Shanti...
I, the soul, am riding on the chariot which is my body...I am playing the part of a human on this world stage...I play my part of 84 births...at first I belonged to the sun dynasty...after that, to the moon dynasty, then to the vaishya clan and then to the shudra community...now I want to become a deity of the sun dynasty once more...I, the soul, accurately understand the knowledge to the path of salvation from the Father...I am attaining salvation for 21 births...I am imbibing the Father’s teachings...I am keeping the knowledge of the beginning, the middle and the end of the drama in my intellect...I keep a cheerful face and play my part on the world stage...We, the souls are the children of Brahma who know the world cycle...I, the soul, am learning the Godly studies...The Supreme Father the Supreme Soul is teaching me... This is the study school of all study schools...the yagya of all yagyas... (sacrificial fire)....I, the soul, am learning Raj Yoga from the sacrificial fire of knowledge to attain self sovereignty...I have totally surrendered my body mind and wealth, as well as thoughts words and deeds to the yagya.....I am successful, complete, perfect and victorious...the Unlimited Father has come to take all of us children back together with Him...
Om Shanti... Om Shanti... Om Shanti...
I, the soul, am full of all virtues...16 celestial degrees full...completely vice-less...the most elevated human being following the code of conduct...a doubly non-violent deity...I perform divine actions...I have a divine body...I have divine sanskars...divine virtues...divine powers...I am a deity with a divine nature...I am a deity with a cheerful face always decorated with the ornaments and adornments of all virtues...I am a four-armed Vishnu...with ornaments...I belong to the sun dynasty...to the clan of Vishnu...I am wearing a crown, I am seated on a throne, I am anointed with a tilak...I am claiming a right to the kingdom...I am the master of the world...the master of the land of happiness...I am wealthy...prosperous...I am a resident of Bharat, a great, high and pure deity...I belong to the original eternal deity religion...
This is the Ashvmegh Avinaashi Rudra Geeta Gyan Yagya (the imperishable sacrificial fire of Rudra, of the knowledge of Geeta, in which the horse is sacrificed)...everything has to be sacrificed in this...the destiny of the drama is created by the drama...the kings and queens of the sun dynasty wash the feet of the of the ones of the moon dynasty, anoint them with a tilak and seat them on their thrones...the kings and queens of the moon dynasty get the titles of King Ram and Queen Sita...there is no question of war..I (Baba) uplift all the sages and take them back to the land of peace...In the land of peace, the soul world, all have their own separate sections...the souls belonging to the sun dynasty have a separate section, the souls belonging to the moon dynasty have their own separate section...after that come those of Islam, the Buddhists, the Christians, the sages et cetera... separate sections have been made for all of them...In the soul world the rosary is made number wise in this way...the original eternal deity religion is the first community and after that there are others..the community of the deity religion is the greatest, then the other religious leaders all emerge from them...there are 4 main communities...first is the Deity, then come those of Islam, then the Buddhists, then the Christians...this is the study school (pathshala) of all study schools...the sacrificial fire of all sacrificial fires (yagya of all yagyas)...Bharat was the highest, the greatest and the purest...
Points to Churn in Hindi with English script:
Yah pathashalao ki pathashala hai .... yagyo ka yagya hai ...... Mai brahma mukhavanshavali ............. svadarshan chakradhari braHuman kulabhooshan noore ratan kayde se padhane vala god faadharli student hoon .....
ॐ shanti ........ mere baba .... pyare baba .... meethe baba .... dayalu baba .... kripalu baba ....
mahima ......... paramapita paramatma shivabaaba .... sat baap .... sat teechar .... sat guru ....
sarv ka sadgati data ek baap .... rachayita ..... baba sat chaitanya gyan ka sagar hai .....
behad ka baap .... kriyetar .... dayarektar .........
Star **** Mai Atma baap se sammukh padhane vali mahaan sobhagyashali hoon ..................
svamaan aur Atma ka abhyas ..........................
Hum - Mai Atma braHuman dharm vala brahma ka bachcha hoon .....
Hum - Mai Atma shantidhaam ki nivasi shant swaroop hoon .....
Hum - Mai Atma sarv gun sampan hoon .....
Hum - Mai Atma unche te unch biradari vala hoon .....
Hum - Mai Atma sukhadhaam ka malik hoon ...... saahookaar hoon .....
Hum - Mai Atma bharatavasi hoon .....devi-devta dharm ka hoon .....
Hum - Mai Atma tan man dhan seva karne vala yagyapyara hoon .....
Hum - Mai Atma sachcha sachcha vaishnav hoon .....
Hum - Mai Atma sarv alnkaro se susjeet vishnu chaturbhuj hoon .....
Hum - Mai Atma nirakari alnkari kalyani hoon .....
Hum - Mai nirakari .... aakari .... alnkari hoon .....
Hum - Mai Atma har karm men belens rakhne vala duvao ka paatra hoon .....
Comentri .... Mai avinashi Atma hoon baap ka bachcha hoon ..... yah shareer dhaaran kar manushya bana hoon ..... yah shareer mera rath hai ..... Mai Atma is shareer ko chalane vali rathi hoon ..... Mai Atma moolavatan ki rahevasi hoon .... Mai apane svadharm men sthit hoon ..... Mai Atma shanti sagar ki santan shant swaroop hoon ..... aur shantidhaam ki nivasi hoon ..... sachchi shanti men baithi hoon ..... ॐ shanti .....ॐ shanti ..... ॐ shanti ...........
Cometri ....Mai Atma shareer roopi rath par savar hoon ..... aur surshti manch par manushya ka part baja rahi hoon ...... Mai Atma ८४ janmo ki partadhari hoon .....pahele Hum sooryavanshi the ......fir chandravanshi so vaishyavanshi so shoodravanshi bane ..... ab fir se sooryavanshi devta banana hai ..... Mai Atma baap se sadgati marg ki yatharth baate samaj kar 21 janmo ki sadgati prapt kar rahi hoon .....baap ki shikshao dhaaran kar rahi hoon .....drama ke aadi madhya ant ke nolej ko buddhi men rakh harshitamukh hokar apana part is surshti manch par baja rahi hoon ..... Hum Atmaaye surshti chakra ko jaanane vaale brahma ke bachche hai ..... Mai Atma eeshvariya padhaai men hoon ..... paramapita paramatma mujhe padha raha hai ......yah Humari pathashalao ki pathashala hai .... yagyo ka yagya hai ..... Mai Atma svarajya ke liye gyan yagya men rajayog sikh raha hoon ..... Mai Atma tan man dhan se manasa vach karmana se poore poora yagya men svaha hoon ....safal sampan sampoorn aur vijayi hoon ..... behad ka baap Hum bachcho ek saath le jaane ke liye aaya hua hai ....
Cometri ........... Mai Atma sarvagun sampan .....sole kala sampoorn .....sampoorn nirvikari ..... maryada purusottam ..... dabal ahinsak devta hoon ...... Mai Atma divya karmadhari hoon ..... Mai Atma divya shariridhari hoon ..... divya sanskari hoon .....divya gunadhari hoon ...... divya shaktidhari hoon .....daivi svabhavadhari devta hoon ....... Mai Atma sadaiv sarv gunon gaheno aur alnkaro se saje sajaye harshitamukh devta hoon ...... vishnu chaturabhuj hoon ...... alnkari hoon ..... sooryavanshi hoon ..... vishnuvanshi hoon ..... taajadhari takhtadhari tilakadhari rajya adhikari hoon ...... vishva ka malik hoon ..... sukhadhaam ka malik hoon .... dhanavaan hoon ..... saahookaar hoon ..... Mai Atma bharatavasi unch mahaan pavitra devi -devta hoon ....... aadi sanatan devi - devta dharm ka hoon .............................
Gyan soochi ........... yah ashrvamedh avinashi roodra geetagyaan yagya men sab kuch svaha hona hai ..... koi bhi baat ki bhavi mana drama ki bhavi samajana hai ..... sooryavanshiyo raja-rani ne chandravanshiyo ke pair aadi dhokar rajya tilak de takht par bithate hai ..... chandravanshiyo ko raja ram rani sita ka taital milta hai ..... ladaai aadi ki baat nahin hai ..... Mai in saadhu aadi sab ka uddhar kar sab ko shantidhaam men le jata hoon .....shantidhaam moolavatan men sab ke apane apane alag sekshan hai .... sooryavanshiyo ka alag ,chandravanshiyo ka alag ,fir baad men islami ,bauddhi ,sanyasi aadi jo bhi aate hai ,sab ka sekshan alag alag bana hua hai ..... moolavatan men bhi esi nabaravar mala bani hui hai ..... aadi sanatan devi devta dharm vaalo ki hai paheli biradari fir aur biradariya nikalti hai ......devta dharm ki biradari hai bade te badi aur doosare jo dharm sthapak aate hai -sab unase nikale hue hai ..... mukhya char biradariya ......pahele devta ..... fir islami ..... bauddhi ......krishrchyan .....yah pathashalao ki pathashala hai .... yagyo ka yagya hai ...... bharat unch ,mahaan aur pavitra tha .........................